![]() |
एक पथ के दो रास्ते |
अनुभव
पथ एक है, पर चलने के रास्ते दो है।जबतक अकेले हो जान लो पथरीले रास्ते के अनुभव को।
क्योंकि
परिवार के होने के बाद चलना ही पड़ेगा किनारे के रास्तों पर।
क्योंकि,
तुम्हारे गिरने से सिर्फ तुम न गिरोगे।
तिरस्कार घर का हो या औरों का,
चलना पड़ा परिवार के साथ पथरीले रास्तो पे तो,
आज का अनुभव ही कल की ताकत होगी।
No comments:
Post a Comment