एक सवाल अपने आप से
पति की पत्नी से, पत्नी की पति से,
माता-पिता की बच्चों से, बच्चों की माता-पिता से।
एक तरफ धूप है तो एक तरफ छाव दोनो रूप तो हमारे ही है।
तुम ऐसी नही हो, तुम ऐसे नही हो,
क्या हम वैशे है ?
जैसा पति चाहता है, जैसे पत्नी चाहती है।
जैसे माँ-पिताजी चाहते है।
जैसे बच्चे चाहते है।
क्या हम वैशे है ?
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