लम्हों कि यादे
बिताये हुए वो लम्हे याद आते है।जीने को जी चाहता है और सासे थम सी जाती है।
वैशे ही जब हाथ पकड़ा था तुमने मेरा,
थम गई थी सासे और बड़ गई थी धड़कने।
क्या कहूं तुमारे एहसास को,
फुलो की खुसबू वो भी तो मिट जाती है,
तारो की चमक वो भी तो खो जाती है,
पंछियों की चहक वो भी तो गुम हो जाती है।
तुम मेरी धड़कनों की वो साँसे हो,
जो मैं चाहूं या न चाहूं जागु या सो जाऊ तुम हर पल मेरे साथ हो।
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